02 सितंबर, 2009

पानी पर चिञकारी

प्रकृति की माया भी अजीब है। इसके हर स्‍वरूप में अपना अलग ही रंग छिपा हुआ है। जरूरत है तो बस उसे महसूस करने की, उसे ढूंढ निकालने और उसका वास्‍तविक आनंद प्राप्‍त करने की। वागड़ अंचल का डूंगरपुर जिला प्रकृति के ऐसे ही अनुपम नज़ारों से लकदक जरूर है परंतु अभी तक उसको ढूंढा नहीं गया है, गुणीजनों तक नहीं पहुंचाया गया है।
गत दिनों डूंगरपुर के समीप एक रमणीय स्‍थल नीला पानी गया। रास्‍ते में बहुत से नज़ारे दिखाई दिए। इस स्‍थान पर बह रही नदी पर हाल ही पुल बनाया गया है। इस पुल पर जब मेरे दो साथी गुजरे तो पानी में उनकी अलग ही छवि दिखाई दी। मानो हरे पानी के कैनवास पर पोस्‍टर कलर से प्रकृति ने दो छवियां उकेरी हो। वास्‍तविकता का आभास कराने के लिए दो अलग-अलग फोटोग्राफ यहां पर प्रस्‍तुत किए जा रहे हैं। पहले देखिये उलटा फोटोग्राफ और सीधी चिञकारी -----
अब देखिये सीधा फोटोग्राफ और उलटी चिञकारी ---




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